अमेठी में संभालेंगे कांग्रेस की कमान, स्मृति ईरानी को टक्कर देने वाले केएल शर्मा की पूरी दास्तान
Kishori Lal Sharma को Amethi से Congress ने टिकट दिया है. शर्मा का अमेठी और रायबरेली से क्या कनेक्शन है?
कांग्रेस (Congress) ने अमेठी (Amethi) से गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा (KL Sharma) को टिकट दिया है. अमेठी को कांग्रेस का ‘मजबूत किला’ माना जाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से राहुल गांधी को स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार यहां से नामांकन की आखिरी तारीख यानी 3 मई को केएल शर्मा के नाम की घोषणा हुई है. उन्होंने अपना नामांकन भी भर दिया है.
केएल शर्मा वही व्यक्ति हैं जो गांधी परिवार की अनुपस्थिति में अमेठी और रायबरेली का कामकाज संभालते थे. इन निर्वाचन क्षेत्रों में केएल शर्मा को गांधी परिवार का प्रतिनिधि माना जाता है.
कौन हैं Kishori Lal Sharma?किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं. 1983 में केएल शर्मा ने अपना सियासी सफर शुरु किया. 1991 में राजीव गांधी का आकस्मिक निधन हो गया. इसके बाद केएल शर्मा गांधी परिवार के करीब आते चले गए. अमेठी और रायबरेली में होने वाले चुनावों में उनकी अहम भूमिका रहती है.
केएल शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि उन्होंने 40 सालों तक रायबरेली और अमेठी की सेवा की है. शर्मा 1983 में राजीव गांधी के लिए काम करने युवा कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में काम करने यहां आए थे और तब से इन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. केएल शर्मा ने बताया कि उन्होंने 1981 को छोड़कर राजीव गांधी के बाकी सभी चुनावों के प्रबंधन का काम संभाला है.
प्रियंका गांधी ने भी किशोरी लाल शर्मा की उम्मीदवारी का स्वागत किया है. उन्होंने सोशल मीडिया X (ट्विटर) पर लिखा है,
“किशोरी लाल शर्मा से हमारे परिवार का वर्षों का नाता है. अमेठी और रायबरेली के लोगों की सेवा में वे हमेशा मन-प्राण से लगे रहे. उनके जनसेवा का जज्बा अपने आप में एक मिसाल है. आज खुशी की बात है कि उनको कांग्रेस पार्टी ने अमेठी से उम्मीदवार बनाया है. उनकी निष्ठा और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण अवश्य ही उन्हें इस चुनाव ने सफलता दिलाएगा.”
अमेठी में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए भी प्रियंका गांधी ने इन बातों को दोहराया. उन्होंने कहा,
“1999 में जब मैंने पहली बार चुनाव मैनेज किया था तो हमने मिलकर (केएल शर्मा के साथ) काम किया था. वो अमेठी के हर गांव और गली को जानते हैं."
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा को पहली बार राजीव गांधी द्वारा शुरू किए गए एक कार्यक्रम के तहत चुना गया था. उन्हें राजीव गांधी की सीट पर विकास कार्यों की निगरानी का जिम्मा दिया गया. शर्मा जब लगभग 20 साल के थे तब उनको अमेठी लोकसभा सीट के तिलोई विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया था.
राजीव गांधी की हत्या के बाद भी उनकी वही भूमिका रही जब अमेठी से सतीश शर्मा चुनाव लड़े. 1999 में सोनिया गांधी के चुनावी मैदान में उतरीं. इसके बाद शर्मा की जिम्मेवारी और बढ़ गई. 2004 में सोनिया गांधी रायबरेली चली गईं और राहुल गांधी ने अमेठी से राजनीति में प्रवेश किया. इसके बाद केएल शर्मा ने दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया.
शर्मा ने बिहार कांग्रेस के प्रभारी सचिव के रूप में भी काम किया है.
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Amethi में गांधी परिवारकुछ चुनावों को छोड़कर अमेठी से हमेशा गांधी परिवार को जीत मिलती रही है. 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी को जीत मिली थी. इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह को जीत मिली.
1980 में इस सीट से कांग्रेस के संजय गांधी जीते थे. फिर 1981 के उपचुनाव सहित 1984, 1989 और 1991 के आम चुनाव में राजीव गांधी यहां से विजयी रहे थे. उनकी हत्या के बाद 1991 के उपचुनाव में और 1996 के लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के सतीश शर्मा को जीत मिली थी.
लेकिन 1998 में इस सीट पर भाजपा जीती थी. फिर 1999 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को यहां से जीत मिली. अगले तीन चुनावों तक राहुल गांधी जीतते रहे. 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में अमेठी की जनता ने उन्हें चुना. लेकिन 2019 में उन्हें स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा. स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,120 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया. वे इस बार भी यहां से भाजपा की उम्मीदवार हैं. अमेठी सीट पर 5वें चरण के तहत 20 मई को वोटिंग होनी है.
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