The Lallantop
Advertisement

इज़रायल-हमास जंग के 200 दिन पूरे, अब तक क्या हुआ?

35 हज़ार लोगों की जान, 26 हॉस्पिटल की तबाही, सामूहिक कब्रें, जियोपॉलिटिक्स में फेर बदल, UN में 4 युद्धविराम के प्रस्ताव पर वीटो और लाखों लोगों पर मंडराता भुखमरी का ख़तरा. गाज़ा में चल रही जंग में अब तक ये सब घट चुका है.

Advertisement
destruction in gaza amid war
जंग की मार झेल रहा ग़ाज़ा (फोटो-आजतक)
24 अप्रैल 2024 (Updated: 25 अप्रैल 2024, 16:49 IST)
Updated: 25 अप्रैल 2024 16:49 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

35 हज़ार लोगों की जान, 26 हॉस्पिटल की तबाही, सामूहिक कब्रें, जियोपॉलिटिक्स में फेर बदल, UN में 4 युद्धविराम के प्रस्ताव पर वीटो और लाखों लोगों पर मंडराता भुखमरी का ख़तरा. गाज़ा में चल रही जंग में अब तक ये सब घट चुका है. 23 अप्रैल को इस जंग के 200 दिन पूरे हो गए हैं. लेकिन इज़रायल की गाज़ा पर बमबारी अब भी जारी है. UN में युद्ध विराम का प्रस्ताव भी पास हो चुका है लेकिन जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच अमेरिका ने इज़रायल को लगभग देढ़ लाख करोड़ रुपए की सहायता और देने का ऐलान किया है. आशंका जताई जा रही है कि रफ़ा पर हमले के बाद जंग और लंबी खिंच सकती है.  

तो समझते हैं:

-गाज़ा में चल रही जंग में पिछले 200 दिनों में क्या घटा?

-क्या है जंग का प्रेज़ेंट स्टेटस, कौन कहां खड़ा है? 

-और इस जंग ने जियो पॉलिटिक्स पर क्या असर डाला है?

चैप्टर वन. द बिगनिंग

7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इज़रायल पर हमास का हमला हुआ. हवा, पानी और ज़मीन -तीनों रास्तों से ये हमला हुआ था. इस हमले में न केवल लोग मारे गए बल्कि हमास ने सैकड़ों लोगों को बंदी भी बना लिया. हमास ने हमले का ज़िम्मेदार इज़रायल को ठहराया. कहा ये सालों से फिलिस्तीनियों पर हो रहे ज़ुल्म का बदला है. इसके बाद इज़रायल ने गाज़ा में जंग का ऐलान कर दिया. हवा के रास्ते कई दिनों तक रिहाएशी इलाकों में बम बरसाए. गाज़ा की नाकाबंदी की. खाना पानी सब रोक दिया. गाज़ा को खुली जेल बना दिया जहां दिन रात बम बरसाए जा रहे थे. बाद में पश्चिमी देशों के दबाव के चलते बॉर्डर खोले. जिससे मानवीय सहायता गाज़ा पहुंची. लेकिन वो भी बहुत कम थी. इसका असर ऐसा पड़ा की लाखों की आबाद भुखमरी की कगार पर पहुंच चुकी है. जिसका ज़िक्र हम आगे करेंगे. पहले जानते हैं कुछ आंकड़े.

हाथ में एके 47 थामे हमास के लड़ाके (फोटो-आजतक)
चैप्टर टू : द डेथ क्लॉक

अब तक इस जंग में 14 सौ से ज़्यादा इज़रायली नागरिक मारे जा चुके हैं. इनमें से 1139 केवल 7 अक्टूबर के हमले में मारे गए थे. उसके बाद से इज़रायल ने गाज़ा में जंग छेड़ी. इज़रायली हमले में अब तक 34 हज़ार से ज़्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं. इन 34 हज़ार लोगों में 72 फीसदी बच्चे और महिलाएं हैं. नंबर में देखें तो 9 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं. और 14 हज़ार से ज़्यादा बच्चे इज़रायली हमले में मारे गए हैं. गाज़ा में हुई क्षति यहीं तक सीमित नहीं है. गाज़ा का स्वास्थ्य मंत्रालय कह रहा रहा है कि लगभग 77 हज़ार लोग हमलों में घायल हुए हैं. 7 हज़ार से ज़्यादा लोग लापता हैं. आशंका कि इनमें से ज़्यादातर मलबे में दबे हो सकते हैं. यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स संस्था के अनुसार इज़रायली हमले में हर 10 मिनट में एक बच्चा या तो मारा जा रहा है या घायल हो रहा है.

एयरवार्स नाम का एक गैर-लाभकारी संगठन है. जो दुनियाभर के हवाई हमलों पर नज़र रखता है. उसने गाज़ा में चल रही जंग पर रिपोर्ट पेश की है. उसके मुताबिक, इराक़ और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ अमेरिका ने जितने हवाई हमले किए हैं और इनमें आम नागरिकों के मारे जाने की घटनाएं दर्ज की गई. उससे ज़्यादा घटनाएं महज़ कुछ महीने में गाज़ा में सामने आई हैं. ये संगठन कहता है कि ऐसी कई घटनाएं हैं जो मीडिया में आ भी नहीं पाई हैं.

चैप्टर थ्री : होमेलेस

गाज़ा में लगातार बमबारी की वजह से गाज़ा के आधा से ज़्यादा घर नष्ट हो गए हैं. UN के मुताबिक गाज़ा में 62 प्रतिशत घर या तो पूरी तरह नष्ट कर दिए गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं. आंकड़ों की बात करें तो 90 हज़ार से ज़्यादा घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं. तो 3 लाख से ज़्यादा घर ऐसे हैं जो हमले में क्षतिग्रस्त हुए हैं. गाज़ा की सरकारी मीडिया ने कहा है कि इज़रायली सेना ने अब तक गाज़ा पर 75 हज़ार टन से ज़्यादा विस्फोटक गिराया है. 2 अप्रैल को आई वर्ल्ड बैंक और यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में पता चला कि बमबारी से अब तक देढ़ लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का इन्फ्रास्ट्रक्चर बर्बाद हो चुका है.

यहां ये नोट किया जाना चाहिए कि गाज़ा दुनिया के सबसे घने इलाकों में से एक है. मिडिल ईस्ट में तो इसे जनसंख्या घनत्व के मामले में नंबर 1 का स्थान मिला हुआ है. 1 वर्ग किलोमीटर में लगभग 14 हज़ार लोग बसते हैं. ऐसे में जब इतनी बड़ी संख्या में घरों को नष्ट किया गया तो गाज़ा की बड़ी आबादी विस्थापित हो गई. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक गाज़ा में 22 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं. माने गाज़ा की लगभग पूरी ही आबादी अब अपने घरों में नहीं रह रही है.

ग़ाज़ा में लगातार बमबारी हो रही है  (फोटो-आजतक)

इसके अलावा और क्या नुकसान हुआ है?

- 26 अस्पताल पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं. सैंकड़ों डॉक्टर्स मारे जा चुके हैं.

- दर्जनों मस्जिदों को नष्ट किया जा चुका है.

कुल मिलाकर कहें तो लोग मारे जा रहे हैं. लेकिन जो ज़िंदा हैं. उनके लिए स्थिति बहुत मुश्किल है. और आने वाले दिनों में और मुश्किल होने जा रही है.    

चैप्टर फोर : नो फ़ूड, नो वाटर    

जंग शुरू होने के दो दिन बाद माने 9 अक्टूबर को ही इज़रायल ने गाज़ा की पूरी तरह नाकाबंदी कर दी. खाना. पानी रोक दिया. कहा, हम जानवरों से लड़ रहे हैं. इस नाकाबंदी में गाज़ा की बिजली काट दी गई. ईंधन तक गाज़ा आने नहीं दिया गया. बिजली के बिना पानी निकालना मुश्किल. इसलिए गाजा में पानी की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई. कुछ ही दिनों में खाने का सामान भी खत्म होने लगा. गाज़ा के लोग ज़मीन के अंदर बनी सुरंगों से लेन देन करते. ज़्यादातर व्यापार ईजिप्ट की सीमा के पास बनी सुरंगों से होता. इज़रायल ने उन्हें भी नष्ट करवा दिया. कुछ ही दिनों में खाने पीने की कमी पूरे गाज़ा में हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्थिति ऐसी हो गई थी कि लोग घास खाने पर मजबूर हो गए. इधर पूरी दुनिया से गाजा की मदद के लिए आवाज़ें उठनी शुरू हुई. अमेरिका पर प्रेशर पड़ा. कुछ हफ़्तों बाद अमेरिका ने इज़रायल से मानवीय सहायता गाज़ा तक पहुंचने के आदेश दिए. इसके बाद ईजिप्ट की सीमा से लगने वाले रफा बॉर्डर से कुछ ट्रक आए. लेकिन वो 23 लाख लोगों की ज़रूरत पूरी करने के लिए काफ़ी नहीं थे. मानवाधिकार संगठनों ने इसकी ख़ूब आलोचना की. बाद में ट्रकों की खेप बढ़ाई गई. कई बार दूसरे देशों ने हैलिकॉप्टर से खाने के पैकेट भी गाज़ा में गिराए. मगर अभी भी हालात सामान्य नहीं हुई हैं.

ताज़ा रिपोर्ट ये कि गाज़ा की लगभग आधी आबादी खाने की कमी का सामना कर रही है. ये रिपोर्ट वर्ल्डस ह्यूमन वाचडॉग Integrated Food-Security Phase Classification यानि IPC ने 18 मार्च को शाया की है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि-

- कई लोग खाने की कमी की वजह से कुपोषण का शिकार हुए हैं.

- उत्तरी गाज़ा में अकाल पड़ने की आशंका है. और अगर हालात सामन्य नहीं हुए तो अकाल पूरे इलाके में फ़ैल सकता है.

अकाल शब्द के मायने क्या हैं? IPC की मुताबिक अकाल की परिभाषा इस प्रकार की जाती है जब,

- कम से कम 20 प्रतिशत परिवार भोजन की अत्यधिक कमी का सामना कर रहे हों.

- कम से कम 30 प्रतिशत बच्चे तीव्र कुपोषण से पीड़ित हों

- और हर 10 हज़ार लोगों पर चार बच्चे और 2 वस्यक हर रोज़ बुखमारी, कुपोषण और बीमारी की वजह से मर रहे हों.

गाज़ा की सरकारी मीडिया का दावा है कि विस्थापन की वजह से गाज़ा के लगभग 11 लाख लोग किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं. ये तो रहे गाज़ा के ताज़ा हालात. पर इन इन समस्याओं के निपटारे के लिए जो संस्थाएं काम कर रही हैं. लेकिन इज़रायल पर आरोप हैं कि इन संथाओं के काम पर भी इज़रायल बाधा डाल रहा है. कैसे? 2 उदाहरण से समझिए.

ग़ाज़ा में बेघर हुए लोग (फोटो-इंडिया टुडे)

पहला उदाहरण:  1 अप्रैल 2024 

इस रोज़ वर्ल्ड सेंट्रल किचन (WCK) के 7 कर्मचारी इज़रायली हमले में मारे गए. WCK अमेरिका से चलने वाला नॉन-प्रॉफ़िट संगठन है. ये आपदा या जंग से प्रभावित लोगों को खाना मुहैया कराता है. गाज़ा में भी ये यही काम कर रहा था. मरनेवालों में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, पोलैंड और ऑस्ट्रेलिया के नागरिक थे. एक फ़िलिस्तीनी भी था. इज़रायल ने इस मामले में सफ़ाई देते हुए कहा कि ये हमला अनजाने में हुआ था.  

दूसरा उदाहरण: UNRWA 

फुल फॉर्म यूनाइटेड नेशंस रिलीफ़ एंड वर्क्स एजेंसी फ़ॉर फ़िलिस्तीनी रेफ़्यूजीज़. इस संस्था को पैसा यूएन के सदस्य देशों से मिलता है. ये संस्था भी गाज़ा में मदद का काम कर रही थी. लोगों को खाना पानी और सुरक्षित जगहों तक पहुंचा रही थी. लेकिन इज़रायल ने इसकी फंडिंग रोक दी. कहा 7 अक्टूबर वाले हमले में इसके कुछ मेंबर शामिल थे. इज़रायल ने हालांकि अपने दावे को लेकर कोई सबूत पेश नहीं किया. इज़रायल के बाद अमेरिका समेत 16 बड़े डोनर्स ने भी इस संस्था की फ़ंडिंग रोक दी. कुछ देशों ने बाद में फंडिंग बहाल की. लेकिन संस्था के अनुसार ये पैसा काफी नहीं हो पा रहा है.

इन दो उदाहरणों के इतर भी गाज़ा में मानवीय सहायता का काम पहुंचने में दिक्कतें आ रही हैं. UN ने कहा है कि युद्ध के दौरान 200 से ज़्यादा सहायताकर्मी मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश फिलिस्तीनी हैं.

ये गाजा के हालात हैं. इज़रायल के अनुसार ये लड़ाई हमास के ख़ात्मे के लिए शुरू हुई थी. हालांकि इसका एक और उद्देश्य था. 7 अक्टूबर के हमले में इज़रायल के कई लोगों को हमास बंधक बनाकर ले गया था. उनकी क्या स्थिति है, ये भी जान लेते हैं.    

ग़ाज़ा में ग्राउंड इंवेजन करती इज़रायली सेना  (फोटो-आजतक)
चैप्टर फाइव : होस्टेज

7 अक्टूबर को हुए हमले में हमास ने इज़रायल के 240 लोगों को बंदी बनाया था. हमास इनका इस्तेमाल इज़रायल के साथ अपनी मांगें मनवाने में करना चाहता है. इसी के चलते 22 नवंबर को इज़रायल को 4 दिनों के संघर्षविराम के लिए राज़ी होना पड़ा. तब 100 से ज़्यादा बंधक छूटे थे. हालांकि, अभी भी 133 इज़रायली बंधक हमास के क़ब्ज़े में हैं. इज़रायली अधिकारियों का कहना है कि, उनमें से 30 की मौत हो चुकी है.

इज़रायल में बंधकों का मुद्दा आग पकड़े हुए है. नेतन्याहू की इज़रायल में खूब आलोचना हो रही. आलोचना के आगे लोग सड़कों पर भी आ चुके हैं. बंधकों की रिहाई पर जवाब मांगे जा रहे हैं. लेकिन नेतन्याहू इसमें असफल समझे जा रहे हैं. अब इज़रायल का कहना है कि हमास ने ये बंधक रफ़ा में छिपाकर रखे हैं. इसलिए वो यहां हमले का पूरा प्लान बना चुका है. आशंका है कि वो कभी भी यहां हमला शुरू कर सकता है. गाज़ा की 15 लाख से ज़्यादा आबादी रफ़ा में रह रही है. अगर इज़रायल ने यहां हमला शुरू किया तो तबाही आ जाएगी.

चैप्टर सिक्स : टू फ़्रेंड्स

अमेरिका ने युद्ध की शुरुआत से ही इज़रायल का साथ दिया है. पैसा, हथियार हो या डिप्लोमेटिक सपोर्ट सब कुछ इज़रायल को दिया. 3 मौकों पर UN में युद्धविराम की प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो भी किया. बीच में कुछ मसलों पर नाइत्तेफाकी और नाराज़गी हुई लेकिन अमेरिका के नए पैकेज की घोषणा से तो लगता है कि दोनों देशों की दोस्ती अब भी मज़बूत है. 23 अप्रैल को अमेरिका की कांग्रेस ने इज़रायल के लिए लगभग देढ़ लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है.

thumbnail

Advertisement

Advertisement