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अडानी ग्रुप पर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप, हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में कितना दम?

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर तेजी से गिरे हैं.

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बाएं से दाएं. गौतम अडानी और नैथन एंडरसन (फोटो- ट्विटर)
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27 जनवरी 2023 (Updated: 27 जनवरी 2023, 23:53 IST)
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अडानी. बेशुमार दौलत वाले एक उद्योगपति. और एक कंपनी, जो दिन दोगुनी-रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ी है. इस शोहरत का एक बड़ा हिस्सा शेयर मार्केट में अडानी समूह की सफलता से बना है. समूह की 7 कंपनियों के शेयर बीते तीन सालों में 8 गुना से भी ज़्यादा बढ़े हैं. और इनके चलते समूह के मुखिया गौतम अडानी की निजी दौलत में तकरीबन 8 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपये का इज़ाफा हुआ है. फायदा उन्हें भी हुआ, जिन्होंने अडानी समूह की कंपनियों के शेयर खरीदे.

लेकिन बीते दो दिनों से अडानी के शेयरधारक परेशान हैं. उनके खरीदे शेयर्स की कीमतें धड़ाधड़ गिर रही हैं. इसके चलते अडानी समूह ने तकरीबन 4 लाख करोड़ खो दिये हैं और गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में चौथे से सातवें स्थान पर आ गये हैं. और इस सबके पीछे है एक रिपोर्ट, जिसे हिंडनबर्ग रिसर्च नाम की एक संस्था ने तैयार किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी समूह दशकों से अपने शेयर्स में हेराफेरी कर रहा था. 

आम शेयरधारकों की खून पसीने की कमाई लुट जाए, तो खबर अपने आप बड़ी हो जाती है. लेकिन अडानी जितने बड़े समूह पर हेराफेरी के आरोप ज़्यादा गंभीर हैं. क्योंकि ये कंपनी भारत में दर्जनों बंदरगाहों, एयरपोर्ट्स, खदानों और बिजलीघरों का संचालन करती है. तो अडानी का भविष्य भारत के कई महत्वपूर्ण सेक्टर्स के भविष्य के साथ नत्थी है.

24 जनवरी से अब तक गौतम अडानी पैसा गंवाते जा रहे हैं. वो भी लाख या करोड़ में नहीं, हज़ारों करोड़ में. हम आपको आंकड़ा भी दे देते, लेकिन वो पल-पल बदल रहा है. ये सब तब हुआ, जब अडानी समूह 27 जनवरी को ही शेयर बाज़ार से 20 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने की शुरुआत करने वाला था. कारण- हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट.

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च और उसमें लिखा क्या है? 

हिंडनबर्ग रिसर्च एक फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म है. इसकी वेबसाइट के मुताबिक फर्म ''मैन मेड डिजास्टर्स'' पर नजर रखती है. ये डिज़ास्टर बाढ़ या भूस्खलन जैसे ही होते हैं, लेकिन पैसे की दुनिया में. मिसाल के लिये हर्षद मेहता प्रकरण, जिसमें एक शख्स ने नियमन की कमियों का ऐसे फायदा उठाया कि शेयर मार्केट ही बैठ गया.

फर्म के नाम में रिसर्च है. और इसका काम भी यही है. हिंडनबर्ग किसी कंपनी को चुनती है, फिर उसमें हो रही वित्तीय गड़बड़ियों का पता लगाती है. फिर उस पर लंबी-चौड़ी रिपोर्ट तैयार करती है. इस फर्म की शुरुआत 2017 में हुई. तब से अब तक ये 16 कंपनियों की गडबड़ी पर रिपोर्ट पब्लिश कर चुकी है. कंपनी के फाउंडर का नाम है नेथन एंडरसन. एंडरसन अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट से इंटरनेशनल बिजनेस में ग्रेजुएट हैं. साथ ही इजराइल में एंबुलेंस ड्राइवर भी रह चुके हैं.

अडानी समूह पर खुलासा करने से पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने पहले कई कंपनियों को लेकर ऐसी रिपोर्ट जारी की हैं. इन रिपोर्ट की वजह से उन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट भी आई थी. साल 2017 में अपनी शुरुआत के बाद अब तक ये फर्म लगभग 16 कंपनियों में कथित गड़बड़ी से संबंधित बड़े खुलासे कर चुकी है. ट्विटर को लेकर भी इस रिसर्च फर्म ने एक रिपोर्ट जारी की थी. ये रिपोर्ट भी खूब चर्चा में रही थी.  2020 में इस कंपनी ने अमेरिकी ट्रक निर्माता कंपनी निकोला और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर में भी अपना स्टेक बेचा था. इससे उन दोनों कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. Nikola एक इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी, जिसने निवेशकों को अपने नए व्हीकल्स के बारे में बताते हुए ठगा था, जबकि हकीकत में उसके पास गाड़ियां थीं ही नहीं. विंस फाइनेंस, चाइन मेटल रिसोर्सेज, एचएफ फूड्स और Riot Blockchain जैसी कंपनियां भी हिंडनबर्ग के रडार पर रही हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट, दो साल की तहकीकात के बाद जारी की गई है. रिसर्च फर्म ने अडानी समूह में काम कर चुके कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की. हजारों दस्तावेजों की पड़ताल की और लगभग आधा दर्जन देशों में अडानी समूह के ऑफिसों के चक्कर काटे हैं. इसके बाद फर्म जिस निष्कर्ष पर पहुंची, उन्हें हम संक्षेप में बताएंगे. कुछ बिंदुओं पर गौर कीजिए -

1. अडानी ग्रुप दशकों से स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है.

2. अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गैरज़रूरी रूप से महंगे हैं. यानी इनकी वास्तविक कीमत बहुत कम है लेकिन इन्हें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. फर्म का दावा है कि असलियत सामने आए, तो शेयर्स की कीमत में 85 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

3. अडानी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड अहम कंपनियों पर काफी कर्ज है. बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए शेयर्स को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है, जिससे पूरे ग्रुप की वित्तीय स्थिति मुश्किल में पड़ सकती है.

4. रिचर्स के मुताबिक अडानी ग्रुप, 4 बड़ी सरकारी जांचों का विषय रहा है. ये जांच, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्सपेयर का पैसा चुराने और भ्रष्टाचार के मामलों में थी. अनुमान के मुताबिक ये फ्रॉड करीब 17 बिलियन डॉलर का है. भारतीय रुपए के हिसाब से देखें तो आज ये 1 लाख 38 हज़ार करोड़ रुपए होता है.

5. फर्म का दावा है कि अडानी परिवार के सदस्यों ने कथित रूप से टैक्स हैवेन देशों - मसलन मॉरीशस, UAE और कैरेबियन द्वीप समूहों में विदेशी शेल कंपनियां बनाने में सहयोग किया, नकली या अवैध कारोबार, तथा शेयर बाज़ार में लिस्टेड कंपनियों से पैसा निकालने के लिए फर्जी इम्पोर्ट/ एक्सपोर्ट डॉक्यूमेंट तैयार किए. शेल कंपनियां वे कम्पनियां होती हैं जो कागजो पर तो होती हैं लेकिन असल में नहीं होतीं. ये मनी लॉन्ड्रिंग का आसान जरिया होती हैं. इन्हें 'मुखौटा कम्पनी' या 'छद्म कम्पनी' भी कह सकते हैं. और जहां ये कंपनियां खुलती हैं, वो देश कहलाते हैं टैक्स हेवन. माने स्वर्ग, जहां टैक्स और नियमों का झंझट काफी काफी कम होता है. इस संबंध में फर्म ने गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम लिया है. विनोद अडानी से जुड़ी कई कंपनियां ऐसी हैं जिनके वास्तव में होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं है. जैसे इसके कर्मचारियों के बारे में कोई जानकारी न होना, न कोई फोन नंबर, न कोई ऑनलाइन उपस्थिति. हालांकि इसके बावजूद इन्होंने भारत में लिस्टेड अडानी ग्रुप की कंपनियों में अरबों रुपए ट्रांसफर किए हैं.  

6. रिपोर्ट के मुताबिक 2004-05 में डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानी DRI ने गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी को हीरों के व्यापार में धांधली का आरोपी  बनाया था. जालसाजी और टैक्स फ्रॉड के अलग-अलग मामलों में राजेश अडानी को कम से कम दो बार गिरफ्तार किया जा चुका है. बाद में उन्हें अडानी ग्रुप का मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिया गया.

7. रिसर्च फर्म के मुताबिक गौतम अडानी के बहनोई, समीर वोरा पर DRI ने उसी हीरा व्यापार घोटाले का मास्टरमाइंड होने और बार-बार झूठे बयान देने का आरोप लगाया था. बाद में उन्हें अडानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन के कार्यकारी निदेशक के रूप में प्रमोट किया गया.

8. रिसर्च के मुताबिक कई विदेशी शैल कंपनियां, अडानी ग्रुप की सबसे बड़ी पब्लिक शेयर होल्डर्स (नॉन प्रमोटर) हैं. यह ऐसा मामला है जिसमें भारतीय नियमाक सेक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया SEBI के नियमों को कायदे से लागू किया जाए तो इन कंपनियों को शेयर बाजार से डीलिस्ट करना पड़ सकता है. माने शेयर बाज़ार से बाहर.

हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म ने कहा कि उसने अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे हैं और इस पर अडानी की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. जवाबी प्रतिक्रिया आई. अडानी ग्रुप ने 26 जनवरी को एक स्टेटमेंट जारी किया. कहा कि ये रिपोर्ट दुर्भावना से ग्रसित है. ये चुनिंदा गलत सूचनाओं और बासी, निराधार और बदनाम आरोपों का एक एक मिक्सचर है. ये बिना किसी रिसर्च के तैयार किया गया है.  

अडानी ग्रुप ने कहा कि विदेशी फर्म, ये सब कंपनी के फॉलो ऑन पब्लिक ऑफरिंग यानी FPO को नुकसान पहुंचाने के लिए कर रही है. ताकि आम जनता को गुमराह किया जा सके और अडानी ग्रुप के लीडर्स की प्रतिष्ठा कम हो. समूह ने आगे कहा कि हिंडनबर्ग के खिलाफ दंडात्मक कानूनी कार्रवाई के लिए वो अमेरिका और भारत के कानूनी प्रावधानों को देख रहा है.

इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि अगर अडानी ग्रुप कार्रवाई करना चाहता है तो हम इसका स्वागत करते हैं. हिंडनबर्ग ने कहा कि वो अपनी रिपोर्ट के पक्ष में पूरी तरह से खड़ी है. किसी भी कानूनी कार्रवाई का कोई भी आधार नहीं होगा. हिंडनबर्ग की ओर से ट्वीट कर कहा गया,

"अगर अडानी ग्रुप हमारे खिलाफ सच में कार्रवाई करना चाहता है, तो उसे अमेरिका में कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. हम अमेरिका में ही काम करते हैं. हम कानूनी कार्रवाई के दौरान कई दस्तावेज भी मांग लेंगे."

यानी दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप जारी है. लेकिन इससे जो बड़ा सवाल निकल कर आता है वो है रिसर्च पब्लिश होने की टाइमिंग. कि क्या ये रिपोर्ट जानबूझकर ऐसे समय पर लाई गई जब अडानी ग्रुप FPO लाने की तैयारी में था. 

टाइमिंग के बाद अब बात इन्फॉर्मेशन की. जानकार बताते हैं कि जो बातें इस रिपोर्ट में आई हैं उनमें से अधिकतर के बारे में जानकारी मार्केट में पहले से ही उपलब्ध थी. यानी मार्केट को पता था. तो सवाल ये उठता है कि जब बातें पता थीं तो रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर में अचानक से गिरावट क्यों होने लगी? कंपनी को इतना घाटा क्यों उठाना पड़ रहा है? इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा सिर्फ थोड़े समय के लिए है, जल्दी ही शेयर की कीमतों में सुधार देखने को मिलेगा.

अडानी ग्रुप कई तरह के बिजनेस करता है. दुनिया भर में कारोबार फैला है. जाहिर सी बात है कि इसका अच्छा या बुरा बाकी कंपनियों को भी प्रभावित करेगा. पिछले दो दिनों में हमने जो भयानक गिरावट देखी है या आगे जो भी होगा वो मार्केट पर क्या असर डालेगा?

इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्ययवस्था और बैंकिंग सेक्टर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि अडानी समूह ने लोन भारतीय बैंकों से नहीं बल्कि विदेशी बैंकों से लिया है, वो भी उन देशों से जहां अडानी ग्रुप ने नए बिजनेस शुरू किए हैं. केवल एक रिपोर्ट से अडानी ग्रुप को कोई बड़ा खतरा नहीं है.

अब आते हैं हितों के टकराव वाले मुद्दे पर. हमने आपको बताया था कि हिंडनबर्ग सिर्फ रिसर्च नहीं करती. यह कंपनी एक एक्टिविस्ट शार्ट सेलर है. और इसके पास अडानी समूह में शॉर्ट पोज़ीशन है. ये क्या है, ये समझने से पहले आपको शार्ट सेलिंग समझनी पड़ेगी.

किसी शेयर को कम भाव पर खरीदकर उसे चढ़ने पर बेचना आमतौर पर शेयर मार्केट में मुनाफा कमाने का हिट फार्मूला माना जाता है. कारोबार की दुनिया में इसे लांग पोजीशन कहते हैं. यह तरीका आमतौर पर निवेशक तब अपनाते हैं जब मार्केट में तेजी की संभावना होती है. लेकिन इसके उलट जब बाजार में मंदी की आशंका चल होती है और किसी कंपनी के शेयर के भाव में गिरावट का अनुमान होता है तब शार्ट पोजीशन का तरीका अपनाते हैं. मतलब निवेशक को लगता है कि भविष्य में शेयर की कीमतें गिरेंगी और इससे फायदा होगा. एक्टिविस्ट शार्ट सेलर निवेशकों को समझाते रहते हैं कि कंपनी ओवरवैल्यूड (कर्ज में डूबी) है. जिस कंपनी पर ये शार्ट सेलर फोकस करते हैं उसके बारे में इस तरह की खबरें आने के बाद कई बार कंपनी का शेयर रसातल पर पहुंच  जाता है और शार्ट सेलर पैसा कमाता है. तो अगर अडानी के शेयर टूटते हैं, तो हिंडनबर्ग को फायदा पहुंच सकता है. हिंडनबर्ग ऐसा कई बार पहले कर चुकी है.

हिंडनबर्ग के काम करने का तरीका हमने आपको बता दिया. लेकिन ये प्रश्न तो अपनी जगह है ही कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जो कुछ लिखा है, वो कितना सही है. हमने इस बात को लेकर अडानी समूह को कुछ सवाल भेजे थे, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले हैं. जब समूह जवाब देगा, हम उसे भी आपके सामने लाएंगे.

वैसे अडानी समूह को सिर्फ मीडिया ही नहीं, राजनैतिक पार्टियों के आरोपों के भी जवाब देने पड़ेंगे. कांग्रेस ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक RBI और SEBI द्वारा अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच की मांग कर दी है. ताज़ा अपडेट ये है कि SEBI ने अडानी समूह के शेयर्स की निगरानी को बढ़ा दिया है. हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय नियामक संस्थाएं जल्द दूध का दूध कर देंगी. अगर वाकई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट एक हिट जॉब है, तो उसका खुलासा भी हो और अगर अडानी समूह ने कोई गलती की है, तो उसके बारे में भी शेयर धारकों को सारी जानकारी मिले. क्योंकि सवाल खून पसीने से अर्जित कमाई का है. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: अडानी पर शेयर भाव में हेराफेरी, वित्तीय गड़बड़ी का इल्ज़ाम, हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में कितना दम?

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