The Lallantop
Advertisement

'ब्लड मनी' क्या है जो यमन में हत्या की दोषी निमिषा प्रिया को बचा सकता है?

मौत की सजा पाई निमिषा प्रिया का परिवार उन्हें बचाने के लिए यमन पहुंचा है. उनकी उम्मीद कायम है. इस उम्मीद की वजह है ब्लड मनी.

Advertisement
Nimisha Priya case
साल 2020 में निमिषा को मौत की सजा मिली थी. (फोटो- आजतक)
25 अप्रैल 2024
Updated: 25 अप्रैल 2024 19:23 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया 11 साल बाद अपनी मां से मिली हैं. उनकी मां प्रेमा, उनके पति टॉमी थॉमस और उनकी 11 साल की बेटी मिशाल उनसे मिलने यमन पहुंचे हैं. 24 अप्रैल को जेल में बंद निमिषा से परिवार ने मुलाकात की. निमिषा को साल 2020 में एक स्थानीय व्यक्ति तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. पिछले साल नवंबर में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनकी माफी की अपील खारिज कर दी थी.

इसके बावजूद निमिषा के परिवार की उम्मीद कायम है. और इसी उम्मीद पर परिवार वहां पहुंचा है. यमन में शरिया कानून है. वहां पीड़ित परिवार के साथ समझौता कर सजा माफ कराई जा सकती है. इसके लिए निमिषा के परिवार को ब्लड मनी या दियाह (मुआवजा) पीड़ित परिवार को चुकाना होगा. पलक्कड़ की रहने वालीं निमिषा फिलहाल यमन की राजधानी सना की सेंट्रल जेल में बंद हैं.

भारत के आम नागरिकों के यमन जाने पर प्रतिबंध है. वहां काफी समय से गृह युद्ध चल रहा है. इसीलिए 2017 में भारत सरकार ने अपने नागरिकों के वहां जाने पर पाबंदी लगा दी थी. अभी सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही जाने की अनुमति मिलती है. पिछले साल विदेश मंत्रालय ने निमिषा के परिवार को वहां जाने की इजाजत नहीं दी थी. इसके बाद, परिवार ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी. 13 दिसंबर 2023 को हाई कोर्ट ने उनके परिवार को यमन जाने की अनुमति दी थी. हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा था कि इसमें केंद्र सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.

महदी की हत्या की कहानी

बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि निमिषा साल 2008 में ही काम के सिलसिले में यमन गई थीं. तब वो सिर्फ 19 साल की थीं. साल 2011 में निमिषा टॉमी थॉमस से शादी करने केरल वापस आई थीं. फिर दोनों वापस यमन चले गए. बेटी के जन्म के बाद जब खर्चा चलाना मुश्किल हुआ, तो टॉमी केरल लौट गए. साल 2014 में निमिषा ने एक क्लिनिक खोलने का फैसला लिया था. लेकिन यमन के कानून के तहत इसके लिए स्थानीय पार्टनर का होना जरूरी है. निमिषा ने वहां तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर क्लिनिक खोल लिया. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए निमिषा और उनके पति थॉमस ने करीब 50 लाख रुपये जुटाए.

कुछ समय बाद यमन में गृह युद्ध की चपेट में आया. भारत सरकार ने वहां से कई नागरिकों को बाहर निकाला. लेकिन निमिषा ने वापस नहीं लौटने का फैसला किया. बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि ऐसा उन्होंने अपने निवेश को लेकर किया. उनका क्लिनिक अच्छा चलने लगा था. फिर कुछ समय बाद निमिषा और महदी के बीच विवाद शुरू हो गया. पति थॉमस ने बीबीसी को बताया कि महदी ने निमिषा का पासपोर्ट भी रख लिया था.

जुलाई 2017 में महदी का शव टुकड़ों में एक वाटर टैंक में मिला था. निमिषा पर आरोप लगा कि उन्होंने इंजेक्शन देकर महदी की हत्या की. हत्या के करीब एक महीने बाद निमिषा को गिरफ्तार किया गया था. साल 2020 में यमन की एक निचली अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई थी. जिसे बाद में ऊपरी अदालत ने भी बरकरार रखा था.

ब्लड मनी से बच जाएंगी निमिषा?

साल 2020 से ही निमिषा को बचाने के लिए अभियान चल रहा है. इसके लिए 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' का गठन भी किया गया. इस काउंसिल के एक सदस्य सैमुएल जोन्स भी निमिषा के परिवार के साथ यमन पहुंचे हैं. ये लोग अब महदी के परिवार के साथ समझौते की कोशिश करने वाले हैं.

दिसंबर में निमिषा की मां ने बीबीसी से कहा था, 

"मैं उन लोगों से माफी मांग लूंगी. मैं उनको कहूंगी कि वे मेरी जान ले लें, लेकिन मेरी बेटी को छोड़ दें. निमिषा की एक छोटी बेटी है. उसको अपनी मां की जरूरत है."

निमिषा का परिवार ‘ब्लड मनी’ के जरिये उन्हें बचा सकता है. ब्लड मनी उस पैसे को कहा जाता है जो माफी के बदले पीड़ित परिवार को देना होता है. हालांकि ये तब लागू होता है जब कोई हत्या जानबूझकर ना की गई हो. ये उस सिद्धांत के आधार पर है कि किसी की जान के बदले जान नहीं लेनी चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2022 में ही महदी के परिवारवाले ब्लड मनी पर सहमत हो गए थे. शरिया कानून के अनुसार अगर पीड़ित परिवार मुआवजे से संतुष्ट होता है, तो निमिषा रिहा हो जाएंगी. यमन शरिया कानून को मानता है.

ये भी पढ़ें- जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश को बड़ा झटका क्यों लगा?

यमन के अलावा सऊदी अरब, ईरान, इराक, पाकिस्तान सहित कई इस्लामिक देश इस कानून को मानते हैं. इस नियम की काफी आलोचना होती है. क्योंकि ये न्याय के सिद्धांत के खिलाफ माना जाता है. इसके जरिये पावरफुल लोगों के लिए कानून की सजा से बचना आसान हो जाता है. गंभीर अपराधों में भी पैसे के दम पर लोग बच निकलते हैं.

कई देशों में मौत की सजा पाए या दूसरी सजा काट रहे लोग ब्लड मनी के कारण छूट जाते हैं. एक रिपोर्ट बताती है कि ईरान में साल 2013 में ब्लड मनी देकर 358 नागरिकों को मौत की सजा से बचाया गया था. साल 2011 में पाकिस्तान ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के एक जासूस को इसी प्रक्रिया के तहत छोड़ दिया था. द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, तब अमेरिका ने तीन मृतकों के परिवार को करीब 6 करोड़ रुपये मुआवजे में दिए थे.

वीडियो: तारीख: 'काला जादू' बता कर दुबई इस्लामिक बैंक को 2 हजार करोड़ का चूना लगा दिया

thumbnail

Advertisement

Advertisement