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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में ये '7/11' क्या है जिस पर इतनी चर्चा हो रही है?

जिला अदालत को कहा गया है कि पहले याचिका के सुनवाई योग्य होने पर फैसला करे.

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What does 7/11 mean in the Gyanvapi Mosque case of Varanasi
ज्ञानवापी मस्जिद (फोटो- आजतक)
27 मई 2022 (Updated: 27 मई 2022, 12:27 IST)
Updated: 27 मई 2022 12:27 IST
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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Mosque) की चर्चा में एक शब्द का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है. 7/11. आजतक से जुड़े संजय शर्मा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई वाराणसी की जिला अदालत में शुरू हुई. जिला अदालत को कहा गया है कि पहले याचिका के सुनवाई योग्य होने पर फैसला करे. यानी पहले सुनवाई इस मुद्दे पर हो कि हिंदू पक्षकारों की याचिका सुनवाई योग्य है भी या नहीं. इस सुनवाई का मुख्य आधार Places of Worship Act के साथ सिविल प्रोसीजर कोड यानी CPC का आदेश 7 नियम 11 है. यहीं से निकला है 7/11.

क्या है 7/11 का पूरा मतलब?

संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक CPC के आदेश 7 नियम 11 यानी 7/11 के तहत अदालत किसी वाद या मुकदमे को सुनने से अस्वीकार कर सकती है अगर वो इन पैमानों पर खरा ना उतरे-

# जहां अर्जी में Cause Of Action यानी कार्रवाई करने का कोई कारण नहीं दिखाया या बताया गया हो.

# जहां वाद के दस्तावेजों पर अपर्याप्त धनराशि की स्टैम्प लगी हो. साथ ही अदालत की ओर से तय मोहलत के अंदर जरूरी स्टैम्प लगाने के आदेश के बावजूद वादी ऐसा करने में विफल रहे.

# जहां वादपत्र में दिया गया कोई बयान किसी कानून से निषिद्ध यानी सुनवाई से वर्जित लग रहा हो.

# जहां इसे डुप्लीकेट में दाखिल नहीं किया गया हो.

# जहां वादी नियम 9 के प्रावधान का पालन करने में विफल रहे.

मुस्लिम पक्ष की क्या राय

मामले में मुस्लिम पक्षकार अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने कहा है कि हिंदू पक्ष की याचिका 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत सुनवाई के लिए वर्जित है. इसलिए ये CPC आदेश 7 नियम 11 के प्रावधान के तहत आता है. जिसमें कहा गया है कि जहां वादपत्र में दिया गया कोई बयान किसी कानून द्वारा वर्जित प्रतीत होता है उसे अदालत अस्वीकार करेगी.

हिंदू पक्ष की क्या राय

वहीं हिन्दू पक्षकारों का कहना है कि वहां 15 अगस्त 1947 से पहले और बाद तक लगातार देवी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना होती रही है. लिहाजा उनका सूट ऑर्डर 7 नियम 11 के प्रावधान चार की परिधि से बाहर और ऊपर है. यानी कोर्ट इस पर न केवल सुनवाई कर सकता है बल्कि उनको दावे के मुताबिक न्याय कर उनका अधिकार भी दिला सकता है.

वीडियो- ज्ञानवापी पर भड़के ओवैसी ने शिवलिंग और फव्वारे पर क्या कहा?

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