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कैंसर को दोबारा शरीर में घुसने नहीं देगी ये थेरेपी! केट मिडिलटन भी करवा रहीं

कैंसर की सर्जरी के बाद भी कैंसर वापस आने का डर रहता है. क्योंकि, अगर कैंसर दोबारा आया तो बहुत मुमकिन हैं कि वह अडवांस स्टेज में वापस आएगा. इससे बचने के लिए प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी दी जाती है.

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कैंसर को वापिस आने से रोकने के लिए प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी दी जाती है
8 अप्रैल 2024
Updated: 8 अप्रैल 2024 17:43 IST
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ब्रिटिश राजकुमारी केट मिडिलटन का नाम आपने ज़रूर सुना होगा. आजकल ख़बरों में खूब चर्चा है उनकी. ब्रिटेन के शाही परिवार की बहू हैं. पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया पर लोग टॉर्च लेकर केट मिडिलटन को ढूंढने में लगे थे. उनको लेकर कुछ ज़्यादा ही चिंतित थे. वजह? दरअसल वो अचानक ही मीडिया की नज़रों से नदारद हो गई थीं. किसी को पता नहीं चल रहता वो कहां हैं.

ख़बरें आई थीं कि जनवरी के महीने में उन्होंने अपने पेट की सर्जरी कराई थी. इसके लिए वो दो हफ्ते तक अस्पताल में रहीं. लेकिन, फिर उनके बारे में कोई जानकारी आना बंद हो गई. लोग उनकी सेहत को लेकर कयास लगा रहे थे. बात जब हद से ज़्यादा बढ़ गई तो केट मिडलटन ने अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया. इसमें उन्होंने बताया कि उन्हें कैंसर हो गया है. और, अब वो प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी करा रही हैं.

इस बयान के बाद प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी के बारे में बहुत बातें हो रहीं हैं. डॉक्टर से जानिए कि प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी क्या होती है? इसको करवाने की ज़रूरत कब और क्यों पड़ती है? ये कैसे की जाती है? साथ ही जानेंगे इसे साइड इफेक्ट्स. 

प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी क्या है और यह कब की जाती है?

ये हमें बताया डॉ. मोहित अग्रवाल ने. 

डॉ. मोहित अग्रवाल, डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल

प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी को एडजुवेंट कीमोथेरेपी भी कहा जाता है. ये उन्हें दी जाती है, जिनका इलाज पूरा हो चुका है. मरीज़ों को ये इसलिए दी जाती है ताकि कैंसर वापस न लौट सके. कैंसर दोबारा होने का चांस कम से कम हो जाए. उदाहरण के लिए ब्रेस्ट कैंसर. अगर यह शुरुआती स्टेज का है तब इसकी सर्जरी कर दी जाती है. इससे मरीज़ का कैंसर चला जाता है. मगर कई बार डॉक्टर्स को लगता है कि इसके वापस आने के चांस हैं. तब मरीज़ को प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी दी जाती है ताकि बीमारी के वापस आने का चांस कम से कम हो जाए. 

प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी कैसे की जाती है?

प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी बाकी कीमोथेरेपी की तरह ही होती है. यह गलत धारणा है कि इसे कराने में बहुत दर्द होता है. जैसे किसी को बोतल चढ़ाई गई हो, यह बिल्कुल वैसी ही होती है. प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी को कराना आसान है. इसके लिए पेशेंट को सबसे अलग रखने की ज़रूरत नहीं है. इसमें बिल्कुल भी दर्द नहीं होता. बहुत आराम की ज़रूरत भी नहीं है. कई मरीज़ तो अगले दिन से ही अपने काम करने लगते हैं. वो अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी आसानी से जीना शुरू कर सकते हैं.

प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी बाकी कीमोथेरेपी जैसी ही होती है
प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

इसके साइड इफेक्ट्स वही हैं जो नॉर्मल कीमोथेरेपी के होते हैं. कीमोथेरेपी कैंसर की तेज़ी से बढ़ती कोशिकाओं पर असर डालती है. इससे हमारे बाल झड़ते हैं, छाले आ सकते हैं, पेट गड़बड़ हो जाता है. शरीर में खून की कमी हो सकती है. हालांकि ज़रूरी नहीं कि ये सभी कीमोथेरेपी के ही साइड इफेक्ट्स हों. कीमोथेरेपी में बहुत सारी चीज़ें आ जाती हैं. 

हर कीमोथेरेपी में अलग तरह के साइड इफेक्ट्स होते हैं. ये साइड इफेक्ट पहले के ज़माने में बहुत ज़्यादा होते थे, पर मेडिकल साइंस में तरक्की के साथ ये साइड इफेक्ट्स बहुत कम हो गए हैं. अब ये तकनीक आ गई है कि बाल भी न झड़ें, छाले कम से कम हों. साथ ही खून पर भी बहुत ज़्यादा असर न पड़े. ग्रोथ फैक्टर्स का भी इस्तेमाल होता है ताकि खून में TLC ज़्यादा रहे. TLC यानी शरीर में वाइट ब्लड सेल्स की संख्या. इससे इंफेक्शन नहीं होता है.

कैंसर की सर्जरी के बाद भी कैंसर वापस आने का डर रहता है. क्योंकि, अगर कैंसर दोबारा आया तो बहुत चांसेज़ हैं कि वह अडवांस स्टेज में वापस आएगा. इससे बचने के लिए प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी दी जाती है. इसलिए इसकी जानकारी होना बेहद ज़रूरी है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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