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दुख कब डिप्रेशन में बदल जाता है, दोनों में सही अंतर आज जान लें

दुख और डिप्रेशन कई लोगों को एक ही बात लगती है. लेकिन ऐसा नहीं है.

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बॉस ने बुरी तरह झाड़ दिया. एग्जाम अच्छा नहीं हुआ. पार्टनर से लड़ाई हो गई?
बॉस ने बुरी तरह झाड़ दिया. एग्जाम अच्छा नहीं हुआ. पार्टनर से लड़ाई हो गई?
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31 मार्च 2023 (Updated: 31 मार्च 2023, 16:08 IST)
Updated: 31 मार्च 2023 16:08 IST
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बॉस ने बुरी तरह झाड़ दिया. एग्जाम अच्छा नहीं हुआ. पार्टनर से लड़ाई हो गई. ऐसी सिचुएशंस में इंसान दुखी महसूस करता है. मन ख़राब रहता है. कहीं जाने का, किसी से मिलने का मन नहीं करता. कुछ समय बाद बात पुरानी हो जाती है. ज़िंदगी वापस ढर्रे पर आ जाती है. मन ठीक हो जाता है. पर अगर ये दुख जाने का नाम नहीं ले रहा तो क्या? हालात ठीक हो भी जाएं तो भी मन अच्छा नहीं महसूस कर रहा. ज़िंदगी एकदम बेकार लग रही है. रोज़ बिस्तर से उठना अपने आप में एक जंग है. ये फीलिंग्स सिर्फ़ दुख नहीं, डिप्रेशन का संकेत हैं. 

दुख और डिप्रेशन कई लोगों को एक ही बात लगती है. पर इन दोनों में उतना ही फ़र्क है जितना ज़मीन और आसमान में. डिप्रेशन के लक्षण केवल मन दुखी है तक सीमित नहीं होते. आज के एपिसोड में एक्सपर्ट्स से जानेंगे डिप्रेशन और दुख में क्या फ़र्क होता है. इनके लक्षणों में क्या फ़र्क है. और सबसे ज़रूरी बात डिप्रेशन का इलाज क्या है?

डिप्रेशन और दुख में क्या फ़र्क है?

ये हमें बताया डॉक्टर ज्योति कपूर ने.

Dr. Jyoti Kapoor - Founder Director & Senior Consultant - Manasthali-  Mental Health & Wellness Services | LinkedIn
डॉक्टर ज्योति कपूर, सीनियर मनोचिकित्सक एंड फाउंडर, मनस्थली

दुखी होना या ख़ुश होना प्राकृतकि है. हर इंसान हालात के हिसाब से चलता है, महसूस करता है. अच्छे हालात में ख़ुशी महसूस करता है. बुरे हालात में दुख महसूस करता है. पर इस दुख की एक सीमा होती है. हालात जितने बुरे होते हैं, इंसान का रिएक्शन भी उसी के हिसाब से होता है. हर इंसान का रिएक्शन अलग होता है. कुछ लोग ज़्यादा उदास हो जाते हैं. कुछ लोग कम उदास होते हैं. ये कंडीशन डिप्रेशन तब कहलाती है जब उदासी या दुख लगातार महसूस होता है. हालात बदलने पर भी नॉर्मल नहीं महसूस होता या इंसान कोप करना नहीं सीख पाता है. 

अगर कोई इंसान लगातार दो हफ़्तों तक दुखी महसूस कर रहा है. इस दौरान नॉर्मल एक्टिविटी नहीं कर पा रहा. पर्सनल, सोशल, वर्क लाइफ पर असर पड़ रहा है तो इसको डिप्रेशन की केटेगरी में देखा जाता है. ये नॉर्मल दुख से अलग है यानी दुख अपने आप ठीक हो जाता है. पर डिप्रेशन एक ऐसी कंडीशन है जिससे आप अपने आप नहीं उबर पाते.

What Is Depression? Symptoms and Overview
अगर इसका इलाज न किया जाए तो कंडीशन माइल्ड से सीवियर हो सकती है
लक्षण

-डिप्रेशन अपने आप में एक ऐसी स्थिति है जो क्लिनिकल है.

-इसलिए प्रोफेशनल मदद लेने की ज़रूरत है.

-मन अगर परेशान है और परेशानी से नहीं उबर पा रहे.

-ये समस्या लगातार चली जा रही है तो प्रोफेशनल मदद लेने की ज़रूरत है.

-डिप्रेशन की गंभीरता उसके प्रभाव पर निर्भर करती है.

-ये माइल्ड, मोडरेट, सीवियर हो सकता है.

-अगर इसका इलाज न किया जाए तो कंडीशन माइल्ड से सीवियर हो सकती है.

-अगर नेगेटिव विचार बहुत ज़्यादा आ रहे हैं.

-ज़िंदगी बेकार लग रही है.

-जीने का कोई फ़ायदा नहीं दिख रहा.

-मन में मरने के विचार आ रहे हैं.

-अपने आप को नुकसान पहुंचाने के विचार आ रहे हैं तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.

-क्वालिटी ऑफ़ लाइफ नहीं एन्जॉय कर पा रहे.

-जिन चीज़ों में पहले मज़ा आता था अब नहीं आता.

-फिजिकल लक्षण भी महसूस हो रहे हैं.

-जैसे बिस्तर से उठने का मन नहीं करता.

-एक्सरसाइज नहीं करते.

-नींद डिस्टर्ब रहती है.

-भूख कम या ज़्यादा लगती है.

-किसी से बात करने का मन नहीं करता.

-सामाजिक तौर पर लोगों से मिलना पसंद नहीं है.

-परेशानी की वजह से ऐसी आदतें पड़ जाती हैं जो गलत हैं.

-जैसे ज़्यादा सिगरेट पीना.

-ज़्यादा शराब पीना.

-किसी तरह का नशा करना.

-ऐसी सिचुएशन में ज़रूरी है कि मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें.

Depression and Sleep | Sleep Foundation
डिप्रेशन अपने आप में एक ऐसी स्थिति है जो क्लिनिकल है
इलाज

आजकल डिप्रेशन के कई इलाज उपलब्ध हैं. डिप्रेशन कितना है, उसके हिसाब से डॉक्टर थेरेपी या इलाज बताते हैं. साइकोथेरेपी जिसको टॉक थेरेपी कहते हैं. ये माइल्ड टू मोडरेट डिप्रेशन में काम आती है. इसमें स्ट्रेस को समझकर ऐसे अभ्यास किए जाते हैं जिससे मन पॉजिटिव महसूस करे. कई बार केवल साइकोथेरेपी काफ़ी नहीं होती. इसके चलते एंटी-डिप्रेसन्ट दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है. एंटी-डिप्रेसन्ट दवाइयों को लेकर काफ़ी मिथक हैं. लोगों को लगता है कि इन दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट होंगे, पर ऐसा नहीं है. ये दवाइयां काफ़ी सेफ़ हैं. काफ़ी असरदार हैं. ये जल्दी असर करती हैं. कम समय में मन ठीक महसूस करता है. आप लाइफ अपने हिसाब से जी पाते हैं.

डिप्रेशन दुख से कैसे अलग है, ये फंडा थोड़ा क्लियर हुआ होगा. डिप्रेशन अपने आप ठीक नहीं होता. ये एक क्लिनिकल समस्या है. इसलिए अगर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं तो अपने किसी नज़दीकी से ज़रूर बात करें या मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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