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मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी अब मुश्किल तो हो जाएगी, मगर TRAI ने आपको बड़ी मुसीबत से बचा लिया

मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) से जुड़ा नया नियम आने वाली 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होगा. नया न‍ियम लागू होने के बाद सिम कार्ड को पोर्ट कराते समय और पुराने नंबर पर नया सिम जारी करते वक्‍त टेलीकॉम कंपनियों को ज्‍यादा सावधानी रखनी होगी.

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The telecom regulator TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) announced changes to its mobile number portability (MNP) rules last week. As per the latest amendment, if a SIM card has been swapped or replaced, the associated mobile number cannot be ported out to a different telecom operator for seven days.
MNP से जुड़ा नया नियम आ रहा है
19 मार्च 2024 (Updated: 19 मार्च 2024, 13:37 IST)
Updated: 19 मार्च 2024 13:37 IST
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सबसे पहले तो आपसे हाथ जोड़कर माफी क्योंकि हम खबर देर से बता रहे. लेकिन खबर आपसे सीधे-सीधे जुड़ी हुई है, लिहाजा अगर ना बताते तो वो भी सही नहीं होता. खबर आपके और हमारे मोबाइल नंबर से जुड़ी हुई है तो भला इसको कैसे नहीं बताएं. दरअसल टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) को लेकर एक बेहद जरूरी नियम (TRAI New Rules For MNP) बनाया है. इस नियम के प्रभावी होने के बाद सिम कार्ड स्वैपिंग के जर‍िये होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी. इसके तहत मोबाइल ऑपरेटर की तरफ से सिम कार्ड बदलने और जारी करने के नियमों में बदलाव क‍िया जाएगा.

TRAI का मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) से जुड़ा नया नियम आने वाली 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होगा. नया न‍ियम लागू होने के बाद सिम कार्ड को पोर्ट कराते समय और पुराने नंबर पर नया सिम जारी करते वक्‍त टेलीकॉम कंपनियों को ज्‍यादा सावधानी बरतनी होगी.

साइबर फ्रॉड पर लगेगी लगाम 

नए रूल्स के तहत अगर किसी SIM कार्ड को स्वैप किया या बदला गया है, तो उससे जुड़े मोबाइल नंबर को सात दिनों तक एक अलग टेलीकॉम कंपनी को पोर्ट नहीं किया जा सकेगा. आसान भाषा में कहें तो अगर किसी भी वजह से सिम बदली गई मतलब टूट जाने से, खराब हो जाने से या गुम हो जाने से तो नई सिम तो मिल जाएगी मगर उसको दूसरे ऑपरेटर में तुरंत पोर्ट नहीं किया जा सकेगा.

नया नियम सिर्फ सिम बदले जाने पर लागू होगा. मतलब अगर आप अपनी पुरानी सिम इस्तेमाल कर रहे तो कोई दिक्कत नहीं. आप हाथों हाथ UPC कोड जनरेट करके पोर्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने एक सर्कुलर में बताया है कि इस नियम का उद्देश्य सिम को फर्जी तरीके से बदल कर होने वाली मोबाइल नंबर्स पोर्टेबिलिटी पर लगाम लगाना है. पोर्ट र‍िक्‍वेस्‍ट के समय अगर जांच में ऐसा पाया जाता है कि सिम को 10 दिन पहले ही बदला गया है तो उस नंबर के टेलीकॉम ऑपरेटर को पोर्ट नहीं किया जाएगा. इसके साथ मोबाइल कंपनियों को नंबर पोर्ट कराने वाले कस्‍टमर की पूरी जानकारी पोर्टिंग ऑपरेटर के साथ साझा करनी होगी. ऑपरेटर की तरफ से इसकी जांच की जाएगी.

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इस नियम को लागू करने के पीछे भी पोर्ट से जुड़ी हुई एक सुविधा है जिसका इस्तेमाल साइबर अपराधी करते हैं. दरअसल नंबर पोर्ट के समय सिर्फ ऑपरेटर ही नहीं बदला जाता बल्कि नंबर का मालिक भी बदला जा सकता है. इसलिए ठग पहले तो येन केन प्रकारेण आपकी सिम बदलने में कामयाब हो जाते हैं और फिर उसको पोर्ट भी करवा लेते हैं.

मतलब असल यूजर के पास उस सिम को वापस पाने का कोई जुगाड़ ही नहीं रह जाता. इतना सब करके ठग क्या करते हैं वो बताने की जरूरत नहीं. एक शब्द में कहें तो 'उनकी मर्जी'.

नया नियम इसपर लगाम लगाएगा.

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